CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT वशीकरण मंत्र किसे चाहिए

Considerations To Know About वशीकरण मंत्र किसे चाहिए

Considerations To Know About वशीकरण मंत्र किसे चाहिए

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निष्क्रियता: मंत्र का उच्चारण करने के बाद, आपको सक्रियता से दूर रहना चाहिए। इसके बाद शांतिपूर्वक ध्यान में बैठें और अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए प्रभावित होने की कोशिश करें।

वशीकरण मंत्र के उपयोग से मानवीय संबंध वशीकरण मंत्र: चमत्कार या मिथ्या?

विधि: शनिवार की रात को भैरव देव की पूजा करके उक्त मन्त्र से गुड़ को इक्कीस बार अभिमन्त्रित कर जिसे भी खिलाया जायेगा, वही साधक के वश में हो जायेगा।

विधि: शनिवार की रात्रि में इस मन्त्र का एक सौ एक जप करें। मन्त्रजप के समय घी का दीपक जलता रहे। गुग्गुल की धूनी दें तथा पुष्प और मिठाई प्रसाद के रूप में चढ़ाएं। फिर उस मिठाई को मन्त्र से अभिषिक्त करके जिसे भी खिला देंगे, वह वशीभूत होकर कहना मानने पर बाध्य हो जाएगा।

ॐ भगवती भग भागदायिनी ‘देवदत्ती’ मम मोहय कुरु कुरु स्वाहा।

साधक तीन पान का बीड़ा लेकर तीनों को इक्कीस इक्कीस बार अभिमन्त्रित करे और एक-एक करके जिस भी स्त्री को खिलायेगा, पहला पान खाकर वह स्त्री मित्रता करेगी। दूसरा पान शारीरिक सम्बन्ध बनायेगी और तीसरा पान खा लेने के बाद साधक के अलावा कभी किसी के बारे में सपने में भी नहीं सोचेगी। यह read more अति प्रबल वशीकरण प्रयोग है।

किसी भी साधना में अगर आप यंत्र का प्रयोग करते है तो इसका मतलब है आप उर्जा को एक जरिये में भेज रहे है.

वशीकरण एक प्राचीन विधि है जो, यदि सही तरीके और सकारात्मक इरादे के साथ की जाए, तो जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। यह न केवल रिश्तों को सुधारने में मदद करता है, बल्कि आत्मविश्वास और आकर्षण बढ़ाने में भी सहायक है।

जाप के लिए मूँगे की माला उपयोग करें

तिलक मोहन मंत्र का प्रयोग सर्वजन मोहन में होता है. आपने देखा होगा कुछ लोग बाहरी कार्य को सिद्ध करने के लिए इसका प्रयोग करते है.

आप इसे साधना के बाद भी कर सकते है. कृष्ण मोहन साधना का प्रयोग तो आप नियमित तौर पर सकते है.

यह मंत्र बहुत शक्तिशाली माना जाता है। इसकी सिद्धि से सभी सांसारिक इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। जप करने से पहले किसी योग्य तांत्रिक से परामर्श अवश्य लें और उसकी सलाह से जप की संख्या के संबंध में संकल्प लें। जप के बाद निम्नलिखित मंत्र से देवी की स्तुति करें-

ॐ नमो अरिहताणं। अरे अरिणी मोहिनी। ‘अमुकी’ मोहय मोहय स्वाहा।

कामाख्याये वरदे देवी नीलपर्वतावासिनी

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